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सिविल कानून

कार्लिल बनाम कार्बोलिक स्मोक बॉल कंपनी [1891-4] ऑल ईआर 127

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 14-Sep-2023

परिचय (Introduction)-

यह ऐतिहासिक मामला है, जिसने यह मुद्दा उठाया है कि क्या वस्तु का विज्ञापन, भुगतान हेतु अभिव्यक्त अनुबंध माना जाएगा या नहीं। यह मामला अंग्रेज़ी अनुबंध अधिनियम पर आधारित है।

तथ्य (Facts)-

  • इस मामले में कार्बोलिक स्मोक बॉल कंपनी ने स्मोक बॉल नाम से एक उत्पाद निर्मित किया।
    • कंपनी के एक विज्ञापन में छोटी सी गेंद को इन्फ्लूएंज़ा, तेज़ बुखार, खाँसी-जुकाम, सिरदर्द और कई अन्य बीमारियों के उपचार के रूप में प्रचारित किया गया था।
  • कंपनी ने विज्ञापन दिया और दावा किया कि वे कंपनी द्वारा निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार उत्पाद का उपयोग करने के बाद बीमार पड़ने वाले किसी भी व्यक्ति को 100 डॉलर का भुगतान करेंगे।
  • वादी लुईसा कार्लिल ने कंपनी द्वारा उल्लिखित निर्देशों के अनुसार उत्पाद का उपयोग किया और बीमार हो गईं।
    • इसलिये, वादी ने विज्ञापन के अनुसार 100 $ की राशि का दावा किया, लेकिन कंपनी ने वादी को 100 $ का भुगतान करने से मना कर दिया।
  • अब न्यायालय में कंपनी के विरुद्ध कार्यवाही की गई और न्यायालय ने वादी के पक्ष में आदेश दिया।
  • आदेश के विरुद्ध कंपनी द्वारा अपील की गई थी।

शामिल मुद्दे (Issues Involved)-

  • क्या पार्टियों के बीच अनुबंध का कोई बाध्यकारी प्रभाव था?
  • क्या श्रीमती कार्लिल को कार्बोलिक स्मोक बॉल कंपनी को प्रस्ताव की स्वीकृति के बारे में सूचित करना आवश्यक था?

अवलोकन (Observation)-

न्यायालय ने कहा कि कंपनी के कार्यों से स्पष्ट प्रतीत होता है कि उनका प्रयोजन विधिक अनुबंध (legal contract) करने का था। बैंक में राशि जमा करने की कार्रवाई से अनुबंध के प्रति गंभीरता परिलक्षित होती है।

  • न्यायालय ने कहा कि विज्ञापन लोगों के लिये बनाया गया था, जहाँ तक वादी का सवाल है, उसने कंपनी द्वारा निर्दिष्ट निर्देशों को पूरा किया और वादी का कार्य, प्रस्ताव की स्वीकृति के समतुल्य है।
  • अनुबंध का निष्पादन अनुबंध की निहित स्वीकृति को परिभाषित कर सकता है, ऐसे मामलों में स्वीकृति की विशिष्ट अधिसूचना की आवश्यकता नहीं होती है।
  • यह एकपक्षीय प्रस्ताव (unilateral offer) है जिसे स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे व्यापक रूप से सार्वजनिक किया गया है।
    • इसे शर्तों को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिये एक प्रस्ताव के रूप में माना जाएगा और जो कोई भी विशिष्ट शर्तों को पूरा करता है (इस मामले में 2 सप्ताह के लिये 3 बार स्मोक बॉल का उपयोग करता है) उसके लिये यह प्रस्ताव स्वीकार्य होगा।
  • हालाँकि इसके वैध प्रतिफल (valid consideration) भी है, कंपनी ने बैंक में राशि जमा करके अनुबंध पूरा करने का मंतव्य दर्शाया है।

निष्कर्ष (Conclusion)-

  • न्यायाधीशों द्वारा अपील को खारिज़ कर दिया गया और वादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 100 $ का भुगतान करने का आदेश दिया।
  • न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया कि विज्ञापन एक सामान्य सार्वजनिक प्रस्ताव था। किसी भी व्यक्ति द्वारा विज्ञापन में निर्दिष्ट शर्तों का अनुपालन, वैध स्वीकृति माना जाएगा।

नोट (Note)-

भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के अनुसार प्रस्ताव को धारा 2 (A) में परिभाषित किया गया है, “किसी व्यक्ति की कुछ करने की इच्छा या कुछ करने से मना करने की इच्छा, ऐसे कार्य या विरत रहने (abstain) के लिये दूसरे व्यक्ति की सहमति प्राप्त करना है, जिसके लिये प्रस्ताव किया गया है।”

  • भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 कीधारा 2 (b) स्वीकृति को इस प्रकार परिभाषित करती है, “जब जिस व्यक्ति को प्रस्ताव दिया जाता है, वह उस पर अपनी सहमति का संकेत देता है, इसलिये प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है।”
  • सामान्य प्रस्ताव- व्यापक सार्वजनिक प्रस्ताव को सामान्य प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है। ऐसे प्रस्तावों को कोई भी स्वीकार कर सकता है, लेकिन अनुबंध, व्यापक सर्वजनीन नहीं किया जाता। यह केवल उस व्यक्ति के साथ किया जाता है जो आगे आता है और प्रस्ताव की शर्तों को पूरा करता है।

प्रस्ताव, समग्र रूप से व्यापक सर्वजनीन हो सकता है लेकिन किसी प्रस्ताव की स्वीकृतियों की संख्या व्यक्त या अव्यक्त रूप से सीमित हो सकती है।